WHAT IS IPO IN SHARE MARKET 2025 !! भारत में आईपीओ में निवेश कैसे करें?

IPO (Initial Public Offering) share market का एक ऐसा प्रोसेस होता है जसिमे एक प्राइवेट कंपनी अपने शेयर  को पब्लिक के लिए AVAILABLE करवाती है ताकि वो अपने बिज़नेस को फण्ड क्र सके और दोस्तों IPO के ज़रिये कंपनी अपनी शेयर्स को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करवाती है और उससे रेज होने वाले पैसे को अपने बिज़नेस में एक्सपैंड करने या कोई और ऑपरेशन को फण्ड करने में use करती है ये सभी कम्पन्यिया करती है जो जो शेयर मार्किट में लिस्ट है वो सब और इस प्रोसेसस को समझने के लिए हमने आपके लिए सिंपल भाषा में कुछ important टॉपिक्स को कवर करते है जिससे आप सभी को सझने में ख़फ़ी आसानी होगी !


IPO kya hai?

IPO, यानी की दोस्तों Initial Public Offering, एक process है जिसमे एक  private company अपने शेयर को  पहली बार पब्लिक के लिए बेचती है . और दोस्तों जब कोई company IPO लाती है तो वो अपने स्टॉक्स को पब्लिक मार्किट में लिस्ट करवाती है 

IPO का मैमेन  मकसद दोस्तों company को पैसा रेज करना होता है ,जिससे वो अपने ऑपरेशन ,एक्सपेंशन या डेब्ट को  रेडके करने में उसे क्र सकतीं है . IPO के बाद कंपनी का ownership  public shareholdersके पास चला जाता है 

IPO ka Process:

  1. Company ka Decision: जब एक कंपनी अपने बिज़नेस को ग्रोव करने के लिए  public funding की ज़रूरत मेहसूस करती है तो वो  IPO लाने का डिसिशन लेती है और ये usually बोर्ड्स ऑफ़ डायरेक्टर या सीनियर्स मैनेजमेंट के लेवल पर कियया जाता है 

  2. SEBI Approval: India में IPO के लिए  Securities and Exchange Board of India (SEBI) से अप्रूवल लेना ज़रूरी होता है बिना अप्रूवल के लिस्ट नहीं हो सकती है  SEBI एक regulatory bodyहै जो स्टॉक मार्किटको रेगुलेट करती है  IPOs को पब्लिक के लिए fair और  transparent बनाने की ज़िम्मेदारी लेती है 

  3. Draft Prospectus: IPO से पहले , company अपने ड्राफ्ट को प्रॉस्पेक्टस प्रेपर करती है  hai जिसमे कंपनी का बिज़नेस मॉडल एक फाइनेंसियल रिस्क फैक्टर और ipo का पर्पस दिया जाता है ये डॉक्यूमेंट पब्लिक के लिए available होता है  

  4. Price Band and Size: IPO का प्राइस बंद deside किया जाता है और दोस्तों . Price band वो रेंज होती है  जिसमे कंपनी अपने शेयर्स को बेचने का प्लान करती है और इस प्रोसेस को “book-building” भी कहा जाता है 

  5. Listing on Stock Exchange: Jab IPO completeहो जाता है तो  company  का  stock stock exchanges (like NSE और  BSE in India) पर लिस्ट हो जाता है इसके बाद पब्लिक को शेयर्स ट्रेडिंग क्र लियर available हो जाती है 

IPO ka Risk:

IPO investment कुछ रिस्क के साथ होता है जो की दोस्तों हमने या पर सब चीज़ो को कवर किया है 

  • Market Volatility: IPO market के  opening के बाद शेयर्स की प्राइस वोलतिलती हो सकती है 
  • Company ki Financial Health: IPO से पहले  company का  financial health और  growth potential अच्छा होना चाइये वरना आपको नुकसान होने के पुरे चांस है
  • Regulatory Risk: अगर SEBI या किसी और रेगुलेटरी बॉडी के रूल्स में चेंज आते है तो कंपनी को उन्हें हीसबस से एडजस्ट करना ही पड़ता है  

IPO ke Types:

  1. Fixed Price IPO: इसमें कंपनी एक फिक्स्ड प्राइस प्राइस deside  करती है  investors को  shares मिलते है . सभी  investors को शामे प्राइस पर शेयर्स मिलते है .
  2. Book Building IPO: इसमें प्राइस बैंड decide होता है और investors को अपने बिड्स को sumbit करने पड़ते है उसके बाद कंपनी के फाइनल प्राइस decide होता है 

IPO Investment Strategy:

  1. Long-term investment: अगर आप  IPO में इन्वेस्ट क्र रहे है  तो  आपको company के लॉन्ग टर्म  prospectsदेख क्र ही इन्वेस्ट करना है अगर कंपनी का बिज़नेस ोडेल स्ट्रांग है जो ककी आपको लोंगटर्म  में आपको ख़फ़ी  अच्छे रिटर्न्स दे सकते है 
  2. Short-term Trading: कुछ  investors IPO के  opening day पर  shares खरीदकर उन्हें short-term में बेच क्र प्रॉफिट कमा ते है इस  strategy को  high-risk trading कहा जाता है 


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